1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. राजस्थान के इतिहास के प्रमुख श्रोत 2.राजस्थान की प्रमुख प्रागैतिहासिक सभ्यतायें
2. राजस्थान का भूगोल : 1. स्थिति एवं विस्तार 2. मुख्य भौतिक विभाग :-मरुस्थलीय प्रदेश, अरावली पर्वतीय प्रदेश, मैदानी प्रदेश, पठारी प्रदेश
1. पशु शरीर रचना : हड्डियों का सामान्य अध्ययन : अस्थि विज्ञान में काम आने वाली शब्दावली, अस्थियों के आकारानुरूप उनका वर्गीकरण, कार्य, गौवंश के कंकाल की हड्डियों का विवरण, पहचान एवं घोड़े, कुत्ते, भेड़, सूकर व् मुर्गी के कंकालों का तुलनात्मक अध्ययन |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : 1. विभिन्न प्रकार की पेशियाँ व् उनकी कार्यिकी | 2.रक्त कोशिकाओं का बनना, हिमोपोयसिस, प्लाज्मा, सीरम, रक्त पीएच, थक्का बनना, लिम्फ , विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं, सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूड, साइनोवियल फ्लूड, सिरस फ्लूड, मैक्रोफेजेज सिस्टम व् इम्युनिटी |
3. पशुपालन प्रबंधन : 1. पालतू पशुओं का सामान्य प्रबंधन 2. पशुओं का आर्थिक महत्त्व व् उनके उत्पाद 3. पशुओं एवं पशुपालन से सम्बंधित तकनीकी शब्दावली |
4. पशुपालन प्रसार :1. राज्य में पशुपालन का आर्थिक महत्त्व 2. औपचारिक, गैर-औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा की विशेषताएं |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी :अनुवांशिकता एवं विभिन्नता - परिभाषा, वर्गीकरण इत्यादि |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान :1. औषध शास्त्र की प्रस्तावना, सामान्य ज्ञान, वर्गीकरण एवं अन्य जानकारी | 2. औषध शास्त्र में उपयोग होने वाली शब्दावली, परिभाषा भारतीय एवं ब्रिटिश औषध कोष, औषध प्रभाव विज्ञान, दशमलव, सामराज्यक एवं घरेलु माप-तोल प्रणाली |
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन :1. बीमार पशु की क्लिनिकल जांच 2. स्वस्थ एवं बीमार पशु के विभिन्न शारीरिक लक्षण |
8. लघु शल्य चिकित्सा :1. नि:संक्रमण (sterilisation) की विभिन्न विधियाँ | 2. पूर्ति एवं अपूर्ति दोष (Sepsis and Asepsis) की परिभाषा एवं उपयोग |
9. पशु प्रजनन :नर एवं मादा पशुओं के प्रजनन अंगों की बनावट एवं क्रिया विज्ञान, प्रजननात्मक अन्तःस्त्राविकी, परिचयात्मक रसायन एवं प्रजनन हारमोनों के कार्य, योवनारम्भ |
10. पशु पोषण :1. पशु शरीर और पौधों की संरचना 2. पोषाहार बिंदु एवं उनकी परिभाषा
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनकी उपलब्धियाँ 2. मुग़ल-राजपूत सम्बन्ध
2. राजस्थान का भूगोल : अपवाह तन्त्र
1. पशु शरीर रचना : शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जोड़ एवं संधियों का अध्ययन|
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : 1. पाचन तंत्र की कार्यकी : भोजन के प्रमुख रासायनिक तत्त्व , रूधिर जीव रसायन कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, मिनरल एलिमेंट्स, विटामिन्स, जीव रसायन संघटक आदि | पाचन तंत्र में भौतिक कार्यिकी जैसे - प्रिहेंसन, चबाना, निगलना, गेस्ट्रिक मूवमेंट्स, छोटी व् बड़ी आंत की कार्यिकी- रूमिनेंत व नॉन-रूमिनेंट पशुओं का पाचन व उनका तुलनात्मक अध्ययन, पाचन तंत्र में काम आने वाले विभिन्न एन्जाइम, पाचक तत्वों का शोषण, प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, वसा का मेटाबोलिज्म, पाचन-तंत्र की विभिन्न पाचन ग्रंथियों जैसे सलेवरी ग्लेंड, गालब्लेडर, पेनक्रियाज आदि के कार्य |
3. पशुपालन प्रबंधन : 1. पालतू पशुओं व कुक्कुट के शरीर के विभिन्न अंगों की पहचान 2. राजस्थान में पाए जाने वाले गौ, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंटों, शूकर एवं कुक्कुट की मुख्य उस्लों का निवास स्थान , प्रमुख विदेशी नस्लों के लक्षण एवं गुणों का अध्ययन की जानकारी |
4. पशुपालन प्रसार :1. पशुपालन विस्तार शिक्षा का परिचय 2. विस्तार शिक्षा की पशुपालन विकास में भूमिका| 3. सामुदायिक विकास का बुनियादी ज्ञान|
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी :अनुवांशिकता का रासायनिक आधार - DNA की सरंचना एवं उसके द्वारा अनुवांशिक सूचनाओं का परिवहन |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान :1. चिकित्सा नुस्खों में उपयोग आने वाले रोमन शब्दों की व्याख्या 2. औषधियों का संयोजन (कम्पाउंडिंग व डिस्पेंसिंग) एवं विभिन्न प्रकार की औषधियों के चूर्ण, गोलियां, मिश्रण, इलेक्चुरी आदि देने की विधि एवं मल्हम, ली लोसन, पुल्टिस आफद बनाने एवं लगाने की विधि | 3. औषधियों को देने के विभिन्न तरीके जैसे पर-ऑस, पर-नोज, पर-रेक्टम, यूरोजिनाइटल ट्रेक्ट में देना, शरीर की त्वचा पर लगाना एवं इंजेक्शन यथा इन्ट्राविनस, इन्त्ट्रामस्क्युलर, सब्क्युटेनियस, इंट्रा-ट्रेकियल, इंट्रा-रूमिनल आदि |
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन :1. पशुओं एवं पक्षियों में शारीरिक तापक्रम, पल्स एवं स्वशन का महत्त्व 2. बीमार एवं नवजात पशुओं की देखभाल |
8. लघु शल्य चिकित्सा :1.पशु को चोट लगने पर प्राथमिक उपचार 2.पशुओं को निश्चेतन करने संबंधी सामान्य ज्ञान |
9. पशु प्रजनन :आवर्त चक्र, ताव के लक्षण एवं पहचान, ताव के श्लेष्मा के गुण, गर्भकाल एवं गर्भ का परीक्षण, प्रसव | |
10. पशु पोषण :1. सामान्य खाद्य पदार्थ और चारा, उनका वर्गीकरण, उपलब्धता और पशुओं एवं मुर्गीयों के उत्पादन में महत्व |ं 2. खाद्य प्रसंस्करण के विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक तरीकों से निम्न गुणवत्ता वाले चारे के पोषक स्तर को सुधारना|
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषतायें 2. महत्वपूर्ण किले, स्मारक एवं सरंचनायें
2. राजस्थान का भूगोल : 1. जलवायु 2. मृदा
1. पशु शरीर रचना : पैर व गर्दन की मुख्य पेशियों एवं टेंडन का अध्ययन|
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : 1. श्वसन तंत्र की कार्यिकी : मेकेनिज्म ऑफ़ रेस्पिरेशन व बिओकेमिस्ट्र, विभिन्न प्रकार की श्वसन क्रियायें, डेड स्पेस, कृत्रिम श्वसन, गैसों का आदान-प्रदान आदि |
3. पशुपालन प्रबंधन : 1. पशु प्रबंधन, उनको काबू करना, सामान्य जानकारी जैसे जानवर को संभालना- नाथ और बुल होल्डर आदि का उपयोग करना | गौवंश, भैन्स्, भेड़, बकरी, ऊंटों व अश्व की उम्र ज्ञात करना |
4. पशुपालन प्रसार :1. विस्तार शिक्षण में कदम 2. विस्तार में शिक्षण विधियाँ 3. नेतृत्व और उनके वर्गीकरण |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी :अनुवांशिकता एवं प्रजननिकी की मूल अवधारणा (I) :- (अ) कोशिका विभाजन- समसूत्री, अर्धसूत्री , (ब) सहलग्नता एवं क्रोसिंग ऑवर |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान :1. पोसोलोजी/ डोजेज (खुराक)प्रभावित एवं निर्धारित करने वाले कारक जैसे उम्र, शरीर का वजन, लिंग, वातावरण आदत, सहनशीलता, बीमारी, देने का समय, विधि, नस्ल, औषधि का व्यवहार, उद्देश्य, उत्सर्जनगति आदि 2. फार्माश्यूटिकल क्लासिफिकेशन एवं वेटरनरी फार्मूलों का फार्मेकोपियल फार्मूलों की तालिका जैसे यांत्रिक विधि द्वारा औषधि निर्माण, जल में निर्मित, एल्कोहल व अन्य माध्यमों जैसे विनेगर, तेल आदि माध्यमों में निर्मित औषधियाँ |
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : पशुओं की निम्न बीमारियों के कारण, लक्षण, इलाज एवं रोकथाम के उपाय :-1. पाचन तंत्र की बीमारियां : Stomatitis, Pharingitis, चोक, सामान्य अपाचन, अम्लीय अपाचन, क्षारीय अपाचन, कब्ज (Constipation), आफरा (Tympani), रूमेन का संघटन (Impaction), पेट दर्द (Colic), Entritis, Traumatic reticulitis, आंत में रूकावट (Intestinal obstruction) आदि | 2. श्वसन तंत्र की बीमारियाँ : Upper respiretory tract का infection, Pneumonia, Drenching Pneumonia, Pleurisy आदि |
8. लघु शल्य चिकित्सा :1.पशुओं के घावों पर लगने वाले टांको एवं उपयोग में आने वाले उपकरणों का सामान्य ज्ञान 2. शल्य चिकित्सा में काम आने वाले उपकरणों के रखरखाव एवं उपयोग की जानकारी|
9. पशु प्रजनन :शुक्रजनन का परिचयात्मक अध्ययन, नर में प्रजनन सुदृढ़ता परीक्षण, वीर्य का संकलन, ताजा वीर्य का परीक्षण (सुक्षम्दार्शी व वृहद्दर्शीय), वीर्य परीक्षण का परिचयात्मक अध्ययन, हिम्कृत वीर्य का रख-रखाव, गर्भाधान के तरीके एवं लिपिबद्ध रख रखाव और गर्भधारित मादाओं का परीक्षण |
10. पशु पोषण :1. पशुधन खाद्य पदार्थों को साइलेज और हे के रूप में तैयार करना, भंडारण एवं संरक्षण तथा पशुओं को खिलाने में उनका उपयोग| 2. हानिकारक प्राकृतिक तत्त्व और खाद्य पदार्थ एवं चारे के सामान्य मिलावटी तत्त्व |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. राजस्थान के धार्मिक आन्दोलन एवं लोक देवी देवतायें
2. राजस्थान का भूगोल : प्राकृतिक वनसम्पति
1. पशु शरीर रचना : त्वचा एवं उससे सम्बंधित अवयवों का अध्ययन जैसे- एपिडर्मिस, डर्मिस, त्वचा के रंग, हाइपोडर्मिस, बाल, त्वचामें पाई जाने वाली स्त्रावी ग्रंथियां, सींग, पंजे(Dewclaws), चेस्टनट आदि |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : रक्त परिवहन तंत्र की कार्यकी - Cardiac cycle, Conduction, System of heart, Nervous controle of blood flow, Shock, Blood Volume and Pressure, Venous and Lymphatic return, पशुओं में प्रतिरक्षा एवं टीकाकरण के सिद्धांत |
3. पशुपालन प्रबंधन : पशुओं का तौल माप की सहायता से भार ज्ञात करना | पालतू पशुओं की पहचान हेतु चिन्हित करने के तरीके जैसे दागना, नम्बर लगाना, कान बीन्धना, गोदना आदि
4. पशुपालन प्रसार : 1. पशुपालन विस्तार में नेताओं की भूमिका | 2. ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संचारकों की पहचान| 3. विभिन्न पशुपालन विस्तार कार्यक्रम की सामान्य जानकारी |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : अनुवांशिकता एवं प्रजननिकी की मूल अवधारणा (II) :- (अ) मेंडल के अनुवांशिकता के सिद्धांत : एक संकर तथा द्विसंकर अनुवांशिकता (ब) एक संकर तथा द्विसंकर अनुवांशिकता के संशोधित अनुपात (स) पशुधन तथा कुक्कुट में गुणसूत्रों की संख्या तथा प्रकार (द) मल्टीपल एलील (य) उत्परिवर्तन - प्रकार, कारक एवं प्रभाव |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : 1. विभिन्न औषधियों का शरीर पर प्रभाव (Result of drug action). 2. औषधियों का औषध प्रभाव के आधार पर वर्गीकरण का प्रारंभिक ज्ञान जैसे Mouth Antiseptic, Stomachic, Aromatic, Antisialics, Gastric Antacid, and Anti Emetics, Carminative, Purgative, Laxative, Astringent, Anthelmentics, Diuretics, Ecbolic, Galactogogue, Uterine anti coagulant, Haemostatic, Haematinic, Vasodilator, Vasoconstrictor, Bronchodilator, Bronchoconstrictor, Expectorant, Respiratory Stimulant, Respiratory Sedative, Cerebral Stimulant, Analgesic, Sedative, Hypnotic, Narcotics, Tranquillizers, Anesthetic, Euthanasia, Mydiatriatic, Myotic, Antipyretic, Aalterative tonic, Nutrient, Vitamins, Anti histaminics,Anti inflammatory, Irritant, Caustic, Traumatic,Refrigerants, Detergents, Deodorants, Antibiotics, Antiseptics, Anti- parasitic.
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : 1. उत्सर्जन तंत्र की बिमारियाँ- यूरीनरी ट्रेक्ट इन्फेशन, नेफराइटिस, सिस्टाइटिस आदि | 2. तन्र्त्रिका तंत्र की बीमारियाँ- मेंनिन्जाइटिस, एनसिफेलाइटिस आदि |
8. लघु शल्य चिकित्सा : पशुओं के अंक लगाना, दांगना तथा सींग व पूँछ का विच्छेदन करना |
9. पशु प्रजनन : नर पशु प्रजनन रोग विज्ञान का परिचयात्मक अध्ययन, नर में बांझपन का प्राथमिक ज्ञान, वृषण, शिक्षण, शिशनावरण (प्रिप्युस) आदि के रोग, नर में प्रजनन सम्बन्धी संक्रामक बीमारियाँ |
10. पशु पोषण : 1.रोमान्थिको को आहार खिलने के विभिन्न मानक, उनका उपयोग एवं महत्व और गुण व दोष 2. रोमान्थियो के लिये अप्रोटीनीय नत्रजन पदार्थो का उपयोग |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : राजस्थान की प्रमुख चित्रकलाएँ, शैलियाँ एवं हस्तशिल्प
2. राजस्थान का भूगोल : वन एवं वन्य जीव संरक्षण
1. पशु शरीर रचना : कोशिका (Cell) संरचना, ऊतक(Tissue) संरचना |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : उत्सर्जन तंत्र की कार्यकी व बायोकेमिस्ट्री -वृक्क एवं नेफ्रोन की कार्यकी |
3. पशुपालन प्रबंधन : 1. पशुओं का सामान्य ताप-क्रम , नाड़ी एवं श्वसन गति की जानकारी | 2. पालतू पशुओं व कुक्कुट में टीकाकरण कार्यक्रम |
4. पशुपालन प्रसार : 1. गौशाला विकास कार्यक्रम | 2. पशु मेलों और प्रदर्शनियों का परिचय | 3. जानवर को शो के लिये तैयार करना |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : लैंगिक अनुवांशिकता : (अ) समजात (ब ) विसमजात (स) लिंग संलग्न, लिंग प्रभावी तथा लिंग सिमित अनुवांशिकता|
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : जानवरों की बीमारी में काम आने वाली औषधियों की पहचान | अकार्बनिक औषधिशास्त्र का प्रारंभिक ज्ञान :- 1. क्षार धातु एवं अमोनिया - Sodium chloride, Sodium hydroxide, Sodium carbonate, Sodium bicarbonate, Potassium chloride, Potassium permanganate, Potassium carbonate, Potassium bicarbonate, Potassium nitrate, Potassium iodide, Sodium citrate, Ammonium chloride, Liquor Ammonia fort, Ammonium carbonate, Spirit ammonia aromaticus. 2. एल्कली अर्थ मेटल - Calcium chloride, Calcium gluconate, Calcium borogluconate, Calcium lactose, Calcium phosphate, Calcium hydroxide, Creatapreparata, Plaster of Paris, Magnesium carbonate, Magnesium sulphate. 3. हेवी मेटल - Aluminium hydroxide, Kaolin, Lead acetate, Zinc sulphate, Zinc oxide, Calamine, Copper sulphate, Silver nitrate, Mercurous chloride (Calomel), Bin iodide of mercury, Mercurochrome, Argirol, Pretargol, Ferrous sulphate, Ferric chloride, Tincture ferri-perchloride,Cobalt chloride. 4. मेटेलायड्स - Bismuth carbonate, Bismuth sub nitrate, Potassium antimony tartrate (tartar emetics), Acetyl arsan, Suramin, arsenic trioxide, calcium glycero phosphate. 5. नॉन मेटल - Halogen- chlorine, Iodine, Oxygen, Sulphur (sublimed), Wood charcoal.
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : 1. त्वचा, आंख व कान की बीमारियाँ- डर्मेटाईटिस, एक्जिमा, स्केबिज, कंजक्टीवाइटिस, ओटाइटिस आदि| 2. मस्कूलोस्केलेटन तंत्र- मायो साइटिस आदि | 3. सर्कुलेटरी सिस्टम- (रक्त संचार तंत्र) ट्रोमेटिक पेरिकाडॉइटिस आदि | |
8. लघु शल्य चिकित्सा : १ पशुओं के घाव एवं उनके उपचार, रसोली आदि खोलना व प्राथमिक उपचार |
9. पशु प्रजनन : - मादा रोग विज्ञान का परिचयात्मक अध्यनन, संक्रामक एवं असंक्रामक मादा बांझपन-यौवनारम्भ में देरी, जन्मदात कमी/असमानताये, अंडाशय के संक्रमण एवं योंनसंक्रमण कारण, मेट्राइटिस (गर्भाशय में सूजन), पायोमेट्रा (गर्भाशय में मवाद)|
10. पशु पोषण : १ खनिज तत्वों (वृहद एवं सूक्ष्म) का पशु स्वास्थ्य एवं उत्पदान में महत्व, उनकी आवश्यकता और खाद्य पदार्थो में मिलावट |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : राजस्थानी भाषा एवं साहित्य की प्रमुख कृतियाँ तथा क्षेत्रीय बोलियाँ
2. राजस्थान का भूगोल : 1. पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकीय मुद्दे 2. मरूस्थलीकरण
1. पशु शरीर रचना : पाचन तंत्र - मुँह, टॉन्सिल, फेरिंक्स, आहारनाल, रूमिनेंत व नॉन-रूमिनेंत स्टोमक छोटी आंत, बड़ी आंत व पाचनसे सम्बंधित सहायक अंग और पाचन ग्रंथियां |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : मादा जनन अंगों की कार्यकी - Puberty, Oogenesis, Ovulation व Formation of Corpus Luteum , Estrous cycle, मादा जनन में कार्य करने वाले हार्मोन्स, Pregnancy व Parturition.
3. पशुपालन प्रबंधन : पालतू पशुओं की विभिन्न प्रकार की आवास व्यवस्थाएं जैसे गाय, भेड़, भैंस, बकरी, घोड़ा, ऊंतं कुक्कुट| गाँव में पशु आवासों में कमियां व निष्पादन| |
4. पशुपालन प्रसार : 1. विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिभाषा | 2. पशुपालन विकास कार्यक्रमों का इतिहास | 3. पशुपालन विकासात्मक गतिविधियाँ |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : प्रजनन सिद्धान्त : (अ) अन्तः प्रजनन -प्रकार, उपयोग, अनुवांशिक तथा बाह्र्य प्रभाव (ब) बाह्र्य प्रजनन -प्रकार, उपयोग, अनुवांशिक तथा बाह्र्य प्रभाव (स) चयनित प्रजनन |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : कार्बनिक औषधिशास्त्र का प्रारंभिक ज्ञान :- 2. पाचन तंत्र पर कार्य करने वाली औषधियों का प्रारंभिक ज्ञान -1. Digestive ferments, Vegetable bitters and Sweetening agents – Pulv zinger, Malt, Pepsin, Sucrose, Honey, Saccharine 2. Purgative – Castor oil, Tincture asafetida, oil of alsi, Croton oil, Linseed oil, Aloe 3. Emollients and Demulcents – Olive oil, Groundnut oil, Cotton seed oil, Mustard oil, Coconut oil, Liquid paraffin, Glycerin, Gum acacia, Starch, Barley 4. Vegetable astringent – Tannic acid, Catechu (कत्था) 5. Volatile oil : (अ) Carminative group – Clove oil (लॉन्ग का तेल), Cardamom (इलायची), Coriandrum (धनिया), Antithum (दिल), Anisi (सौंफ), Cinnamon (दालचीनी), Oil of lavendor, cuminn (जीरा), piperment, Ginger (अदरक) (ब) Counter irritant group – Turpentine (तारपीन), Eucalyptus (नीलगिरी), Capsicum (मिर्च), Black pipper (काली मिर्च), Garlic (लहसुन), Onion (प्याज). (स) Urinary antiseptic and diuretic –sandle wood (चन्दन) (द) Solid volatile oil – Camphor, menthol, thymol (य) Aloe, Gum, Resins – Asafoetida 6. कृमिनाशक (Anthelmentic) : (i). Round worm and hook worm – Oil of chinapodium, piperazine adipate, diethyl/carbamazine, CCl4. (ii). Stomach worm – Fenovas, promentic, Butia, semina (पलास के बीज) , Beronia (बाकुची) (iii). Tapeworm – Nux acacia (सुपारी), Diclorofen (डाईसेस्टल), Kamala, Pumpkin seed (iv). Fluke worm – CCl4 (v). Blood worm – Tarter emetics, Neguvon
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : 1. मेटाबोलिक बीमारियां- मिल्क फीवर, डाउनर-कोऊ-सिंड्रोम, किटोसीस, पोस्ट पारच्यूरेन्ट, हिमोग्लोबिनयुरीया, हाइपोमेगनिशिमिक टिटेनी आदि | 2. डेफिशिएंसी बीमारियाँ- विटामिन व खनिज तत्वों की कमी से होने वाली बीमारियां | |
8. लघु शल्य चिकित्सा : पशुओं में मोच, डिसलोकेशन आदि के लक्षण एवं प्राथमिक उपचार |
9. पशु प्रजनन : असामान्य गर्भकाल/गर्भपात एवं अन्य गर्भकाल विषमताएँ जैसे ममीफिकेशन (गर्भ का सूखना), गर्भ का गलना (मेसेरेशन), गर्भकाल में जलाभरण (हाईड्रॉप्सी) अवस्थाएं आदि |
10. पशु पोषण : 1. विटामिन का पशु स्वास्थ्य एवं उत्पदान में महत्व, उनकी आवश्यकता और खाद्य पदार्थो में मिलाना | 2. पशुओं एवं मुर्गीयों के आहार में खाद्य संकाली (feed additive) |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : मेले, त्यौहार, लोक संगीत, लोक नृत्य, वाधयंत्र एवं आभूषण |
2. राजस्थान का भूगोल : कृषि-जलवायु प्रदेश एवं प्रमुख फसलें |
1. पशु शरीर रचना : 1. श्वसन तंत्र - नथुने (Nostrils), नाक गुहा (Nasal cavity), साइनस, ग्रसनी (Pharynx), गला (Larynx), ट्रेकिआ, फेफड़े(Lungs) , छाती (Thorax), फुफ्फुसा (Pleura) व श्वसन की कार्यिकी । 2. उत्सर्जन तंत्र - गुर्दों की सरंचना, युरेटर, ब्लेडर, युरेथरा, गुर्दे के कार्य, नेफ्रॉन की सरंचना , मिक्च्युरेशन आदि |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : नर जनन अंगों की कार्यकी - Erection, Ejeculation, नर जनन में कार्य करने वाले हार्मोन्स, वृषण के कार्य को प्रभावित करने वाले कारक, लिंग निर्धारण, Spermatogenesis, Spermatozoa, जनन में सहायक ग्रंथियों के कार्य |
3. पशुपालन प्रबंधन : बच्चा देते समय और पश्चात गाय की देखभाल, गाय को समूह से अलग करना, प्रसव कमरे को जीवाणु रहित करना, दुग्ध ज्वर से बचाव, प्रसव प्रक्रिया के लक्षण, प्रसव उपरान्त जेर डालना, ब्याने के बाद देखभाल आदि |
4. पशुपालन प्रसार : 1. मुर्गी पालन, भेड़, बकरी और सूअर उत्पादन के लिये आवश्यक जानकारी| 2. राजस्थान पशुपालन प्रसार और उनके कार्य | 3. पशुचिकित्सा संगठनों में पशुधन सहायकों की भूमिका |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : प्रजनन सिद्धान्त : (अ) राजस्थान में पशुपालन निति (ब) चयन एवं छटनी (स) चयन के आधार एवं प्रकार |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : 1. मस्तिष्क स्नायुतंत्र पर कार्य करने वाली औषधियाँ - Volatile general Anaesthetic (chloroform, Ether, Trilene, Ethylene, CCl4), Narcotics (Alcohol), Chloral hydrate, Urea derivatives (Barbiturates) Sulfonyl group (Sulfonal), Alkaloid narcotics (Opium, Morphine, Codeine) Cannabis, Cocaine, Nux vomica, Nikethamide, musk, Belladona, Hyocyamus, Dhatura stramonium, Vvasaka, Tobacco, Carbachol. 2. रक्त परिवहन तंत्र पर कार्य करने वाली औषधियों का प्रारंभिक ज्ञान - Cardiac depressant (Aconite), Cardiac tonic (Digitalis, Siquil), Vasoconstrictor (Adrenaline, Amphetamine), Vasodilator (Amyl-nitrate).
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : पशुओं व पक्षियों की निम्न बिमारियों के लक्षण, उनका इलाज एवं रोकथान के उपाय : जीवाणु-जनित बीमारियाँ- एन्थ्रेक्स, गल-घोटु (अच. एस) लंगड़ बुखार, ब्रुसेलोसिस, क्षयरोग (टी.बी.), पेराट्युबरकुलोसिस, एक्टिनोमाइकोसिस, एक्टिनोबेसिलोसिस, लेपटोस्पायरोसिस, सालमोनेलोसिस, काँलिबेसिलोसिस, कन्टेजियस, केपराइन प्लूरोंयूमोनिया, टिटेनस, एंटेरोटोक्सिमिया, बोचूलिज्म, बेसिलरी हिमोग्लोबिनूरिया, फुट-रोट, मेस्टाइटिस आदि |
8. लघु शल्य चिकित्सा : पशुओं में हड्डी विभंग के प्रकार एवं प्राथमिक उपचार |
9. पशु प्रजनन : प्रसव में बाधा (डीस्टोकिया) प्रसव में बाधा के मात्रत्व, एवं भ्रूणीय कारण, गर्भाशय का घुमाव, ग्रीवा (सर्विक्स) योनि व गर्भाशय का बर्हिलक्षण/बर्हिगमन, भ्रूणीय झिल्लियों का अन्दर रह जाना |
10. पशु पोषण : 1. संतुलित आहार और उनकी विशेषताएँ | 2. संतुलित आहार बनाने के सामान्य सिद्धान्त |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. राजस्थानी संस्कृति, परम्परा एवं विरासत 2. महत्वपूर्ण एतिहासिक पर्यटन स्थल
2. राजस्थान का भूगोल : पशुधन |
1. पशु शरीर रचना : रक्त परिवहन तंत्र - हृदय, रक्त वाहिनियाँ, शिराएँ, धमनियां , पोर्टल परिसंचरण (Portal Circulation), भ्रूण परिसंचरण (Foetal Circulation) , लसीका प्रणाली (Lymphatic System)।
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : दुग्ध क्षरण की कार्यकी - स्तनों का बनना, दुग्ध क्षरण, दुग्ध क्षरण का स्तर बने रहना (galactopoesis), दुग्ध का थनों में उतरना (Let down of Milk) , कोलोस्ट्रम का बनना, दुग्ध में वसा, प्रोटीन का बनना, दुग्ध उत्पादन का रूकना आदि |
3. पशुपालन प्रबंधन : शुष्क गाय की देखभाल, शुष्कहोने के कारण, शुष्क करने की विधियाँ, ग्याभिन गाय का प्रबंधन|
4. पशुपालन प्रसार : 1.जानवर खेत संबंधी महत्वपूर्ण प्रबंधन प्रथाएं |2. दूध रिकोर्डिंग, झुण्ड और बैल पंजीकरण के बारे में जानकारी | 3. कृत्रिम गर्भाधान एवं इसके महत्त्व पर आवश्यक जानकारी |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : पशु प्रदर्शन सुधार की तकनीक ,वंशावली, संतति तथा प्रजनन जानकारी का महत्त्व एवं रखरखाव |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : 1. श्वसन तंत्र पर कार्य करने वाली औषधियों का प्रारंभिक ज्ञान -i. Expectorant -ipecacuhana (इपाकुआना) 2. उत्सर्जन एवं जनन अंगों पर कार्य करने वाली औषधियों का प्रारंभिक ज्ञान - Caffeine, Sodium salicylate, Potassium nitrate, Theobromine, Theophylline, Ergot, Oxytocin. 3. त्वचा पर कार्य करने वाली औषधियों का प्रारंभिक ज्ञान - Paraffin, Vaseline, Lard wax, Gamaxene, Soap, Detergent, Cetramide etc.
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : विषाणु-जनित बीमारिया- रिन्डर पेस्ट (आर.पी.) फुट एंड माउथ डीजिज (एफ.एम.डी), पाक्स (काउ-पाक्स, शीप-पाक्स, गोट- पाक्स, फाउल-पाक्स आदि), रेबीज, बोवाइन मेलिगनेंट-कटार, म्यूकोजल डिजिज, कॉम्पलेक्स, एफीमेरल फीवर, माईकोप्लाज्मा, अफ्रीकन हॉर्स सिक्नेस, रानीखेत डिजिज, मेरेक्स डिजीज, पुलोरम डिजीज, क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजिज (सी.आर.डी.) बर्ड फ्लू, गमबोरो डीजिज आदि|
8. लघु शल्य चिकित्सा : पशु चिकित्सालय एवं प्रयोगशाला में काम आने वाले उपकरणों का सामान्य ज्ञान |
9. पशु प्रजनन : प्रजनन तकनीकों एवं मादा पशु रोग विज्ञान, डिस्टोकिया व शल्य क्रिया द्वारा प्रसव में काम आने वाले उपकरणों के नाम, उपयोग एवं रखरखाव | शल्यक्रिया पैक को तैयार करना | शल्य क्रिया पश्चात पशुओं की देखभाल |
10. पशु पोषण : दुधारू पशुओं और भैषों के विकास एवं उत्पदान के विभिन्न चरणों (प्रजनन बैल, काम करने वाले पशु नवजात, युव, परिपक्व, ग्याभिन, दूधारु व सूखी गाय) के लिय आहार तैयार करना |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व | 2. राजस्थान की रियासतें एवं ब्रिटिश संधियाँ, 1857 का जन-आन्दोलन |
2. राजस्थान का भूगोल : 1. बहुउद्देशीय परियोजनाएँ | 2. सिंचाई परियोजनाएँ | 3. जल संरक्षण |
1. पशु शरीर रचना : नर जनन तंत्र - वृषण (Testis), स्कोटम, एपिडीडिमिस, डक्टस डेफरेंस, लिंग, मांसपेशियों, नर प्रजनन अंगों को जाने वाली प्रमुख पेशियाँ, जनन तंत्र से सम्बंधित रक्त शिरायें , स्नायु तंत्र व सहायक जनन ग्रंथियाँ, सेकंडरी सेक्स करेक्टर |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : प्रयोगशाला में उपयोग होने वाले उपकरण | रूधिर कणिकाएं (परिचयात्मक) | रक्त नमूनों का संग्रहण एवं अध्ययन |
3. पशुपालन प्रबंधन : नवजात बच्चों की जन्म से पहले , जन्म के समय व बाद में देखरेख, चिन्हित करना, बधियाकरण, सींग रोधन व बीमारियों से रोकथाम |
4. पशुपालन प्रसार : 1. पशु उत्पादन में सुधार के लिये प्रजनन की मौलिक धारणाएं | 2. प्रजनन निति की अवधारणा | 3. टीकाकरण और टीकाकरण कार्यक्रम |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : सम्पूर्ण सलेबस |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : पशुओं के उपचार में काम आने वाली जरूरी सल्फा ड्रग्स तथा प्रति जीवाणु औषधि (Antibiotics) की खुराक कार्य प्रणाली सम्बन्धी ज्ञान |
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : 1. कवक-जनित बीमारियां- रिंग वर्म, अफलाटाक्सिकोसिस | 2. प्रोटोजोअन-बीमारियाँ- थायलेरियोसिस, बबेसियोसीस, सर्रा, लिशमानिएसिस, काक्सीडिओसिस आदि | |
8. लघु शल्य चिकित्सा : सम्पूर्ण सलेबस |
9. पशु प्रजनन : सम्पूर्ण सलेबस |
10. पशु पोषण : भेड़ों व बकरियों के विकास एवं उत्पादन के विभिन्न चरणों (दूध, मांस और ऊन) के लिये आहार तैयार करना |
1. राजस्थान का इतिहास, कला एवं संस्कृति, साहित्य, परम्परायें एवं विरासत : 1. कृषक एवं जन-जाति आन्दोलन, प्रजामंडल आन्दोलन | 2. राजस्थान का एकीकरण | 3. राजस्थान का राजनीतिक जनजागरण एवं विकास - महिलाओं के विशेष सन्दर्भ में |
2. राजस्थान का भूगोल : 1. परिवहन | 2. खनिज सम्पदाएँ |
1. पशु शरीर रचना : मादा जनन तंत्र - अंडाशय, गर्भाशय (Uterine) ट्यूब, गर्भाशय, योनि (Vagina),वल्वा, जनन अंगों को जाने वाली रक्त शिरायें व स्नायु-तंत्र | थनों की संरचना |
2. पशु शरीर क्रिया व् जैव रसायन विज्ञान-1 : सम्पूर्ण सलेबस |
3. पशुपालन प्रबंधन : डेयरी सांड की देखभाल, प्रशिक्षण, आवास व्यवस्था, प्रजनन के लिये व्यायाम आदि |/p>
4. पशुपालन प्रसार : 1. किसान प्रक्षिक्षण और समूह चर्चा | 2. विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों के विस्तार में उपयोग |
5. पशु अनुवांशिकी एवं प्रजननिकी : सम्पूर्ण सलेबस |
6. पशुचिकित्सा औषध प्रभाव विज्ञान : पशुओं के उपचार में काम आने वाली औषधियों की असंगति (असंयोजनता), जहरीली दवाइयाँ एवं उनसे दुर्घटना से बचने के उपाय आदि की सामान्य जानकारीयाँ | |
7. पशुचिकित्सा मेडीसिन : 1. रिकटेशियल बीमारियाँ : एनाप्लाज्मोसिस | 2. परजीवी-जनित बीमारियाँ : पेरासिटिक गेस्ट्रोएन्ट्राइटिस व हिमोकोसिस, एसकेरिड इन्फेस्टेशन, स्ट्रोगाइलोसिस, लंगवर्म इन्फेस्टेशन, फेसियोलिएसिस, एम्फीस्टोमोसिस, टेपवर्म इन्फेस्टेशन, नेजल बोट्स, लाउस इन्फेस्टेशन, टिक्स इन्फेस्टेशन इत्यादि |
8. लघु शल्य चिकित्सा : सम्पूर्ण सलेबस |
9. पशु प्रजनन : सम्पूर्ण सलेबस |
10. पशु पोषण : 1. रोगग्रस्त पशुओं के लिये संतुलित आहार | 2. चारागाह प्रबंधन |
सम्पूर्ण सलेबस
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